श्री मद गुरुभ्यो नमः

श्री मद गुरुभ्यो नमः

Thursday, February 17, 2011

हिंदी की सूक्तियां-सुख-दुःख , व्याधि , दया


सुख-दुःख , व्याधि , दया
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
- खलील जिब्रान
संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।
- मृच्छकटिक
व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।
- चाणक्यसूत्राणि-२२३
विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।
- रावणार्जुनीयम्-५।८
मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।
- बर्नार्ड शॉ
मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।
- पुरुषोत्तमदास टंडन
मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।
- सर विंस्टन चर्चिल
तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।
-लहरीदशक
रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥
— रहीम
चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।
— गेटे
अरहर की दाल औ जड़हन का भात
गागल निंबुआ औ घिउ तात
सहरसखंड दहिउ जो होय
बाँके नयन परोसैं जोय
कहै घाघ तब सबही झूठा
उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा
—–घाघ

No comments: