..सूर्य की किरणों को पृथिवी पर पहुँचने में जितना समय लगता है वह प्रकाश की गति कहलाता है | आधुनिक वैज्ञानिक बहुत प्रयासों के बाद यह निश्चित कर पाए| लेकिन यह तथ्य भी हमारे संस्कृत भाषा के ऋग्वेद में पहले ही निश्चित कर दिया था | ऋग्वेद के १-५०-४ में स्पष्ट रूप से इसका वर्णन है -यदि हम इस मन्त्र का सायन भाष्य देखें तो यह तथ्य सामने आता है-"तथा च स्मर्यते -योजनानाम सह्श्रे द्वे द्वे शते च योजने | एकेन निमिष-अर्धेन क्रममान नमोस्तुते |(सायण भाष्य ऋग्वेद )
अर्थात- सूर्य किरणे ( प्रकाश)२२०२ योजन आधे निमेष में यात्रा करते हैं |सर मो.शिर विलियम्स १ योजन को ९ मील मानते हैं | भारत सरकार के अनुसार ९.०६२५ यह मील है | इस के अनुसार प्रकाश की गति -१८६४१३.२२ मील प्रति सेकेण्ड निश्चित होगी| जबकि मान्य गति - १८६३००मील है | इस प्रकार सायण के द्वारा बताई गई गति लगभग वही है|
सायण का काल 15 वीं शताब्दी है और यह मान्य सिद्धांत २० वीं सदी का है |
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